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The de-extinction of Dire wolf

The de-extinction of Dire wolf

The de-extinction of Dire wolf-

 

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The de-extinction of Dire wolf नमस्कार दोस्तों, एक ऐसा जानवर जो 13,000 साल पहले एक्सटिंक्ट हो चुका था, डायर वूल्फ।

वो आज धरती पर वापस आ गया है जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से। यह दावा किया जा रहा ह

कोलोजल बायोसाइंसेस कंपनी के द्वारा। एक ऐसी कंपनी जो कहती है

कि आने वाले समय में ऐसी कई सारी पॉपुलर एक्सटिंक्ट एनिमल की स्पीशीज को डीएक्सिंक्ट करेगी।

जैसे कि टाज़्मेनियन टाइगर जो एक समय पर ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता था। डोडो बर्ड जो 1600 में मॉरीशियस में एक्सटिंक्ट हो गई थी।

क्या है क्षमता डायर wolf की

The de-extinction of Dire wolf बर्फ में एक समय पर पाए जाने वाले ये बड़े से हाथियों के रिलेटिव्स जो 4000 साल पहले एक्सटिंक्ट हो गए थे।

डायर वुल्फ जो इस कंपनी के अनुसार इनका पहला सक्सेसफुल अटेम्प्ट था किसी एनिमल को डीएक्सिंक्ट करने का।

यह एक ऐसी वुल्फ की स्पीशीज है जिसे गेम ऑफ थ्रोनस के टीवी शो ने काफी पॉपुलर बनाया।

इस शो के कई मेन कैरेक्टर्स के पास डायर वुल्फ्स एक पेट की तरह थे।

इसी से ही इंस्पायर्ड होकर जिन दो डायर वुल्फ्स को इस कंपनी ने जन्म दिया उनका नाम रखा गया रोमिलस और रेमोस।

यह पूरा प्रोजेक्ट अमेरिका की एक सीक्रेट लोकेशन में किया गया।  धूप में बैठे एक बाड़े में मजे कर रहे हैं।

कैसे जीवित किए जा रहे है ये भेड़िये –

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The de-extinction of Dire wolf यह 5 महीने के हो गए हैं। इन बच्चों को कोई एहसास भी नहीं है कि यह कितने अनोखे हैं।

यह एक ऐसे युग में पैदा हुए हैं जहां इनकी प्रजाति का कोई भी और सदस्य मौजूद नहीं है।

और यही नहीं इनके साथ एक तीसरे डायर वुल्फ ने भी जन्म लिया जो कि एक फीमेल थी

और जिसका नाम कंपनी ने रखा खलीसी। पहली नजर पर देखने में सब कुछ बहुत ही अद्भुत लगता है।

लेकिन कई लोगों ने यहां पर सवाल उठाए हैं। इस कंपनी के दावों को झूठा बताया है।

बहुत से एक्सपर्ट्स जिनका कहना है कि यहां पर डायर वुल्फ को वापस नहीं लाया गया है

बल्कि एक आर्म वुल्फ का जेनेटिकली इंजीनियर्ड वर्जन बनाया गया है। आखिर यह सब किया कैसे गया?

आइए समझते हैं इस पूरे मुद्दे को गहराई से आज के इस वीडियो में। नदी के पास सबसे पहली बार इंसानों को डायर वुल्फ के फॉसल्स मिले थे।

क्या कह रहे है लोग इस भेड़िये के आने पर 

The de-extinction of Dire wolf 1858 में अमेरिकन साइंटिस्ट जोसेफ लेडी ने कहा कि इस जानवर को कैनिस वंश में डालना चाहिए।

और यहीं से ही इसे साइंटिफिक नाम दिया गया कैनिस डायरस। इसका मतलब होता है एक डरावना कुत्ता।

कैनिस जेनस में वो सारे जीव आते हैं जो कुत्ते जैसे होते हैं। जैसे कि कुत्ते, भेड़िए या सियार।

फिर सन 1918 में एक साइंटिस्ट जॉन मैरियम लॉस एंजेलिस के तारपिट्स में डायर वुल्फ्स के फॉसिल्स को स्टडी कर रहे थे

और उन्होंने कहा कि यह जानवर बहुत ही अलग है। इसे कैनिस वंश में नहीं डालना चाहिए। इसके लिए एक अलग वंश होना चाहिए।

लेकिन उस वक्त उनकी बात को गलत मानकर इग्नोर कर दिया गया।

सीआरआईएसपीआर जीन संपादन (CRISPR Gene Editing)-

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The de-extinction of Dire wolf इसके बाद अगले 100 सालों तक लोग यही मानते रहे कि डायर वुल्फ, ग्रे वुल्फ और मॉडर्न भेड़ियों के क्लोज रिलेटिव थे।

लेकिन 2021 में नेचर जर्नल में एक स्टडी पब्लिश होती है जो डायर वुल्फ को लेकर इंसानों की समझ पूरी तरीके से बदल देती है।

फॉसल्स को डिटेल में स्टडी करने से पता चला कि डायर वुल्फ मॉडर्न भेड़ियों से बहुत अलग है।

लगभग 57 लाख साल पहले ही यह बाकी वुल्फ की स्पीशीज से अलग हो गए थे।

इसी स्टडी में यह भी पता चला कि डायर वुल्फ लंबे समय तक नॉर्थ अमेरिका में ग्रे वुल्फ्स और कायोटीस के साथ रहते थे।

लेकिन इनके बीच में कोई इंटरब्रीडिंग नहीं देखने को मिलती थी। कोई जींस मिक्स नहीं हुए इनके।

और फिर करीब 13,000 साल पहले सभी डायर वुल्फ्स धरती से एक्सटिंक्ट हो गए। लेकिन ग्रे वुल्फ्स बचे रहे।

क्या कारण था इसके पीछे? एग्जैक्टली कोई नहीं जानता लेकिन ऐसा माना जाता है

कि क्योंकि डायर वुल्फ्स बड़े जानवरों का शिकार करते थे। वो जानवर जिनका ये शिकार करते थे

वो एक्सटिंक्ट हो गए इसलिए यह भी एक्सटिंक्ट हो गए।

क्या है प्रोसेस इन्हे जीवित करने का 

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The de-extinction of Dire wolf एक और थ्योरी इनके एक्सटिंशन का कारण बताती है

कि ये ग्रे वुल्फ्स की तरह इंटरब्रीडिंग नहीं कर पाए और इसीलिए यह अपने आप को एनवायरमेंट के साथ अप्ट नहीं कर सके।

अगर मॉडर्न भेड़ियों से कंपेयर करोगे तो डायर वूल्फ का साइज करीब 25% बड़ा होता है।

गेम ऑफ थ्रोन्स में डायर वुल्फ को बहुत ही बड़ा दिखा रखा है। इन्हें एक शेर जितना बड़ा दिखा रखा है।

लेकिन असली में यह इतने बड़े नहीं होते थे। हालांकि यह जरूर है कि इनका सिर बाकी भेड़ियों से लंबा

और चौड़ा होता था और जबड़े की मसल्स बहुत ज्यादा पावरफुल होती थी।

इनके शरीर पर हल्के-हल्के लगभग सफेद बाल होते थे और मॉडर्न भेड़ियों की तरह यह भी झुंड में रहते थे।

क्या है शिकार करने का तरीके 

The de-extinction of Dire wolf जिससे बाकी जानवरों का शिकार करना आसान होता था। अब सवाल आता है डी एक्सटिंशन का। आखिर इस कंपनी ने एक डायर वूल्फ को डीएक्सिंक्ट कैसे किया? डीएक्सिंशन का मतलब होता है एक्सटिंशन का उल्टा। एक्सटिंशन से किसी चीज को वापस लाना। मुख्य रूप से देखा जाए तो यह तीन तरीकों से किया जा सकता है। पहला तरीका है बैक ब्रीडिंग। इसमें किसी एक्सटिंक्ट प्रजाति के जीवित रिश्तेदारों में से एक ऐसे जानवर को चुना जाता है जिसमें उन पुरानी प्रजाति के कुछ गुण अभी भी मौजूद हो।

जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology)

The de-extinction of Dire wolf फिर उनकी आपस में ब्रीडिंग करा कर धीरे-धीरे उन पुरानी कैरेक्टरिस्टिक्स को एक ही जानवर में लाने की कोशिश की जाती है। इसका एक रियल लाइफ एग्जांपल है क्वागा प्रोजेक्ट। इस फोटो को देखिए। यह जो जानवर है इसका नाम है क्वागा। आगे से यह बिल्कुल जिब्रा जैसा दिखता है लेकिन पीछे से इसकी स्ट्र्राइप्स खत्म हो जाती है और बिल्कुल घोड़े जैसा लगता है। यह साउथ अफ्रीका में पाए जाने वाला एक जानवर था जो साल 1883 में एक्सटिंक्ट हो गया हंटिंग की वजह से। लोगों ने इसकी हंटिंग करके इसे पूरी तरीके से खत्म कर दिया था।

 

  • लुप्त प्रजातियों का पुनर्जीवन (Extinct Species Revival)-

The de-extinction of Dire wolf यह जो फोटो आपने स्क्रीन पर देखी है टिल डेट इकलौती फोटो है जो आज तक हिस्ट्री में क्वागा की ली गई है। उसके एक्सटिंक्ट होने से पहले ली गई थी। लेकिन फिर 1987 में कुछ साइंटिस्ट ने मिलकर क्वागा प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसे डी एक्सटिंक्ट करने के लिए। यहां इन्होंने ऐसे जिब्रास को ढूंढा जिनकी बॉडीज पर कम स्ट्राइप्स मौजूद थी। स्पेशली बैक वाले पार्ट में कम मौजूद थी। और फिर चुन-चकर सेलेक्टिव ब्रीडिंग करनी शुरू करी। हर पीढ़ी में जो बच्चे पैदा होते हैं, उन्हें कम स्ट्र्राइप वाले जिब्रास के साथ ब्रीड कराया जाता है और उनके जो बच्चे पैदा होते हैं, उनमें से भी सबसे कम स्ट्राइप वाले चुने जाते।

प्राकृतिक पारिस्थितिकी पर प्रभाव (Ecological Impact)-

The de-extinction of Dire wolf ऐसा करके 20 सालों और तीन पीढ़ियों बाद ऐसे जिब्राज़ पैदा होने लगे जो बिल्कुल कोआगाज़ जैसे दिखते थे। आज के दिन कोआगा प्रोजेक्ट का क्या स्टेटस है आप इनकी वेबसाइट पर देख सकते हैं। 1987 में ली गई यह पहली पीढ़ी की फोटो है। जिस जिब्रा पर बस थोड़े से कम स्ट्राइप्स हैं और 2022 में यह वाली फोटो जिसमें यह जिब्रा ऑलमोस्ट एक कुआ जैसा ही लग रहा है। इसी प्रोसेस को बैक ब्रीडिंग कहा जाता है। लेकिन एक सवाल यहां पर उठता है। क्या दिखने में क्वागा जैसा होना एक जानवर को सही में क्वागा बना देता है। असली क्वगा में ऐसे भी कुछ ट्रेट्स हुए होंगे जिनके बारे में हम नहीं जानते। और यही एक डिसएडवांटेज है बैक ब्रीडिंग का। दिखने में यह जानवर शायद पुराना जैसा हो जाए, लेकिन यह जरूरी नहीं

डायरेक वुल्फ और उसका ऐतिहासिक संदर्भ

The de-extinction of Dire wolf लेकिन ऐसा करने के लिए एक एक्सटिंक्ट प्रजाति का एक सुरक्षित रखा गया सेल होना जरूरी होता है। क्योंकि यहां किया क्या जाता है? इस सेल के न्यूक्लियस को निकालकर किसी करीबी जीवित प्रजाति के एग्स में डाल दिया जाता है। सुनने में यह चीज करनी बड़ी मुश्किल लगती है और है भी। इसीलिए साल 1996 में ही पहली बार था कि एक जानवर को क्लोन किया गया था। डॉली द शीप याद होगा स्कूल की किताबों में पढ़ा होगा। हर नेम इज डॉली से मंथ्स ओल्ड। शी मे नॉट बी द मॉन्सर इमेजिन इन अ साइंस फिक्शन फैंटसी दली फिनोर्स रिप्रेजेंट अ मेजर लैंडमार्क इन द हिस्ट्री ऑफ़ जेनेटिक इंजीनियरिंग। लेकिन डी एक्सटिंशन के लिए क्लोनिंग का इस्तेमाल पहली बार किया गया साल 2000 में। बोकारडो नाम की एक स्पेनिश बकरी की प्रजाति थी.

लुप्त प्रजातियों का पुनर्जीवन (Extinct Species Revival)-

जो बहुत ही एंडेंजर्ड थी। 6 जनवरी साल 200 स्पीशीज की आखिरी बकरी की मौत हो जाती है और यह जानवर एक्सटिंक्ट हो जाता है। लेकिन इसके मरने से करीब एक साल पहले ही साइंटिस्ट ने इसके सेल के सैंपल्स ले लिए थे। इन सेल के सैंपल्स को जाकर कोल्ड स्टोरेज में सेफ तरीके से रख रखा था। इसीलिए ये यहां पर क्लोनिंग अटेम्प्ट कर पाए। इन्होंने इन सेल्स के न्यूक्लियाई को निकालकर 57 अलग-अलग बकरियों के एग्स में डाल दिया। इसका सक्सेस रेट ज्यादा नहीं है क्योंकि इनमें से सिर्फ सात बकरियां ही प्रेग्नेंट हो पाई और छह के तो मिसकैरज भी हो गए। सिर्फ एक बकरी ने एक बच्ची को जन्म दिया लेकिन यह एक बच्ची भी लंग डिफेक्ट के साथ पैदा हुई और 10 मिनट के बाद इसकी मृत्यु हो गई। इसीलिए इस बोकाडो बकरी के बारे में कहा जाता है यह एक ऐसा जानवर है जो दो बार एक्सटिंक्ट हुआ। और यहां से ही आप अंदाजा लगा सकते हो यह क्लोनिंग करना कितना मुश्किल है।

पारिस्थितिकी और नैतिकता

अब आते हैं हम तीसरे प्रोसेस पर डीएक्सिंशन के जो कि है जेनेटिक इंजीनियरिंग। इसे सबसे नया और सबसे प्रॉमिसिंग तरीका माना जा रहा है। इसमें साइंटिस्ट इस्तेमाल करते हैं एक फॉसल का। फॉसिल्स हजारों सालों तक मरे हुए जानवरों का डीएनए प्रिजर्व करके रख सकते हैं। यह एक बड़ा ही नेचुरल तरीका है डेटा प्रिजर्वेशन का। लेकिन आज के जमाने में साइंटिस्ट एक एक्सटिंक्ट प्रजाति के डीएनए को मरे हुए जानवरों के फॉसिल से निकालते हैं और स्टडी करते हैं। ये पता लगाते हैं कि एक्जेक्टली कौन सी जींस थी उस एक्सटिंक्ट एनिमल में और फिर उन जींस को कंपेयर करते हैं उसके सबसे करीबी जीवित रिश्तेदारों से। इसके बाद ये डीएनए एडिटिंग का इस्तेमाल करके उस जीवित रिश्तेदार के सेल्स में उन जींस को बदलते हैं और वैसा बना देते हैं जैसा उस एक्सटिंक्ट प्रजाति में जींस

 

प्राकृतिक पारिस्थितिकी पर प्रभाव (Ecological Impact)-

उसका पूरा और सही डीएनए हासिल करना बड़ा ही मुश्किल है। हजारों साल पुराने फॉसल्स जब मिट्टी में मिलते हैं

तो बहुत ही टूटे फूटे होकर मिलते हैं। उनमें जो डीएनए मौजूद होता है वह भी बहुत ही टूटा फूटा मौजूद होता है।

और दूसरा चैलेंज यहां पर यह है कि जब डीएनए एडिटिंग करी जाती है, लाखों की संख्या में

डीएनए को बदलना यह भी कोई आसान चीज नहीं है। 2021 की बात है अमेरिका में एक

बिलियनियर बेन लाम और जेनेटिक्स के एक रनाउन साइंटिस्ट जॉर्ज चर्च ने साथ में मिलके

एक कंपनी शुरू करी जिसका नाम था कोलोजल बायोसाइंसेस। इस कंपनी का एक ही

मकसद था डीएक्सिंशन और इनका फ्लैकशिप प्रोजेक्ट है वूल मैमथ को वापस लाना जो 4000 सालों से एक्सटिंक्ट है।

 

पुनर्जीवन जैवविज्ञान (Resurrection Biology-

वेटिंग फॉर द राइट मोमेंट। इसकी बात मैंने वीडियो के शुरू में की थी।

इसके अलावा यह टाज़्मनियन टाइगर और डोडो बर्ड को भी वापस लाना चाहते हैं।

लेकिन इन तीनों जानवरों में बड़े चैलेंजेस हैं। वली मैम्स का सबसे करीबी जीवित रिश्तेदार है

एशियन एलीिफेंट। लेकिन एशियन एलीफेंट में प्रेगनेंसी का टाइम 22 महीने लंबा होता है

जो किसी भी मैमल में सबसे ज्यादा है। ताजमेनियन टाइगर की एक खास बात यह थी

कि वो एक मार्सुपियल था। कंग्रूस की तरह उनमें पाउचेस होते थे।

 

पैलियोजीनोमिक्स (Paleogenomics)

तो उनका बच्चा पैदा करने के लिए एक आर्टिफिशियल वम बनाने की जरूरत पड़ेगी जो बहुत मुश्किल हो सकता है।

और डोडो बर्ड में मुश्किल बात यह आती है कि वो अंडे देती थी बाकी और चिड़ियों की तरह। इन अंडों की वजह से

जींस को मैन्युपुलेट करना मुश्किल है। तो 2023 में इस कंपनी की एक मीटिंग हुई जहां पर सभी लोग एक कमरे में मौजूद थे

और डिस्कस कर रहे थे कि कौन सा जानवर सही रहेगा सबसे पहले यह डीएक्सिंशन का प्रोसेस टेस्ट करने के लिए।

और यहीं पर डायर वुल्फ का नाम सामने आया।

  • क्रॉस-स्पीशीज सरोगेसी (Cross-species Surrogacy)

किसी और भेड़, बकरी, चूहे जैसे जानवर के कंपैरिजन में डायर वुल्फ एक ऐसी स्पीशीज है

जो पॉप कल्चर में काफी फेमस है। गेम ऑफ थ्रोन्स के अलावा वर्ल्ड ऑफ वॉरक्राफ्ट के वीडियो गेम्स में,

डंजन्स एंड ड्रैग्स के वीडियो गेम्स में भी इसका मेंशन है। इसीलिए इन्होंने इस जानवर को चुना यह सोचकर

कि डायर वुल्फ को चुनने से पब्लिसिटी और ज्यादा मिलेगी। 2023 की गर्मियों में कोलज़ल बायोससेस की

टीम ने डायर वुल्फ प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया। पहली समस्या थी हाई क्वालिटी डीएनए मिलना।

    • प्लीस्टोसीन युग (Pleistocene Epoch)

डायर वुल्फ का। इसके लिए दो सबसे प्रॉमिसिंग सैंपल्स ढूंढे गए। एक फॉसल जो ओहायो की शेरडन केव में मिला।

डायर वुल्फ का एक दांत का टुकड़ा जो 13,000 साल पुराना था। और दूसरा फॉसल इडाो में अमेरिकन

फॉल्स रिजर्व में मिला एक खोपड़ी 70,000 साल पुरानी डायर वुल्फ की खोपड़ी। इन दो फॉसल्स से

इन्होंने जीन सीक्वेंसिंग करनी शुरू करी। इन्होंने कहा कि इन दोनों सैंपल्स में इतना डाटा मिला इन्हें जो

पुराने डाटा से 500 गुना ज्यादा था। ऐसा नहीं है कि इन्हें पूरी जीनोम मिल गई हो डायर वुल्फ की।

  • लुप्त प्रजातियों का पुनर्जीवन (Extinct Species Revival)

इन्हें कुछ हिस्से मिले हैं उसके डीएनए के। एग्जैक्टली कितना परसेंट डीएनए यह इकट्ठा कर पाए उन फॉसल्स से यह इन्होंने पब्लिकली रिवील नहीं किया है।

अगली स्टेप थी डायर वुल्फ का जो डीएनए इन्हें मिला उसे ग्रे वुल्फ के डीएनए से कंपेयर करना।

इस कंपनी के अनुसार ग्रे वुल्फ डायर वुल्फ का सबसे करीबी जीवित रिश्तेदार है।

इन दोनों जानवरों के डीएनए एक दूसरे से 99.5% मिलते हैं। इससे काम काफी आसान हो जाता है

क्योंकि अगर कोई जीन ग्रे वुल्फ में कोई एक काम करती है तो वही जीन एक्सपेक्टेड है

प्राकृतिक पारिस्थितिकी पर प्रभाव (Ecological Impact)

 

कि डायर वुल्फ के डीएनए में भी वैसा ही काम करेगी। तीसरी स्टेप आती है एग्जैक्टली यह डिसाइड करना है

कि ग्रे वुल्फ के डीएनए में एग्जैक्टली कौन सी जींस बदली जाएंगी जिससे कि वो डायर वुल्फ जैसा बन जाए।

इन्होंने 14 जींस चुनी बदलने के लिए और ये जींस वो थी जो बाहर बाहर के फीचर्स पर फोकस करती थी।

जैसे कि साइज कितना बड़ा होगा एक वूल्फ का, उसका सिर कितना बड़ा होगा, उसका फर्क किस कलर का होगा,

कितना फ्लफी होगा। चौथा फिर इन्होंने जीन एडिटिंग का इस्तेमाल किया ग्रे वुल्फ्स के जींस में ये चेंजेस लाने के लिए

और यहां पर जो एग्जैक्ट टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की गई उसे कहा जाता है क्रिसपर कैसनाइन टेक्नोलॉजी।

ये क्रिसपर जीन एडिटिंग एग्जैक्टली काम कैसे करती है?

भविष्य की कल्पनाएँ

जैसे कि नॉर्दन वाइट राइनोस सन 1970 में 500 से भी ज्यादा नॉर्दर्न वाइट राइनोस अफ्रीका में मिला करते थे।

लेकिन आज के दिन सिर्फ दो बचे हैं। सिर्फ दो और यह भी बूढ़े हो चुके हैं।

इनके जाने के बाद नॉर्दन वाइट राइनो की स्पीशीज हमेशा के लिए धरती से गायब हो जाएगी।

एववोल्यूशन को जिसे बनाने में मिलियंस ऑफ इयर्स का समय लगा। इंसानों की ग्रीड की वजह से उनका अंत हो रहा है।

साइंटिस्ट के बीच में डिस्कशन जारी है कि इन राइनो की स्पीशीज को कैसे बचाया जा सकता है

इन मॉडर्न टेक्नोलॉजीस का इस्तेमाल करके। लेकिन प्रॉब्लम यह है कि हम सिर्फ तभी अफसोस मनाते हैं

जब कोई चीज बिल्कुल खत्म हो जाती है। ऐसे हजारों एंडेंजर्ड स्पीशीज हैं जिन्हें आज भी बचाया जा सकता है

आनुवांशिक अध्ययन और विकास

बिना इन सारी टेक्नोलॉजीस का इस्तेमाल करे। बस जरूरत है हमारे जंगलों को बचाने की,

हमारे नेताओं से, नेताओं के मित्रों से और इनकी लॉ एनफोर्समेंट एजेंसीज से।

साइंटिस्ट तो अपना काम ईमानदारी से कर रहे हैं लेकिन बाकी सबका क्या जो अपना काम ठीक से नहीं करते।

मई 2019 में यूनाइटेड नेशंस की एक रिपोर्ट ने कहा 10 लाख से ज्यादा प्लांट्स और एनिमल्स की स्पीशीज हैं

जो आज के दिन मास एक्सटिंशन की कगार पर हैं। अगर आज हम इन स्पीशीज को बचा लेते हैं

तो फ्यूचर में इन्हें डीएक्सिंक्ट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

वो कहावत है ना एन आउंस ऑफ प्रिवेंशन इज वर्थ अ पाउंड ऑफ क्योर।

https://en.wikipedia.org/wiki/Dire_wolf

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