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SSC परीक्षा प्रणाली में भारी अव्यवस्था

SSC परीक्षा प्रणाली में भारी अव्यवस्था: क्या भारत के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है?

SSC परीक्षा प्रणाली में भारी अव्यवस्था

SSC परीक्षा प्रणाली में भारी अव्यवस्था नमस्कार, आपका स्वागत है ‘static study में। आज हम एक गंभीर विषय पर चर्चा करने जा रहे हैं—

 यानी कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा प्रणाली में लगातार हो रही अव्यवस्थाएं और घोटाले।

हाल ही में SSC Phase-13 परीक्षा को लेकर देश भर में जो स्थिति देखने को मिली,

वह न केवल हैरान करने वाली है बल्कि भारत जैसे विकासशील देश में प्रशासनिक अक्षमता की पोल खोलने वाली भी है।

भारत: विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, लेकिन परीक्षा तंत्र में बदहाली

2025 में भारत को दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

मगर जब बात सरकारी नौकरियों की भर्ती परीक्षाओं की आती है,

तो यही भारत अपने युवाओं को एक व्यवस्थित परीक्षा प्रणाली तक देने में विफल नजर आता है।

SSC की परीक्षा प्रणाली में पेपर लीक, परीक्षा स्थगन, सेंटर पर बदइंतजामी, और तकनीकी खामियां अब सामान्य हो चुकी हैं।

हर साल करोड़ों उम्मीदवार SSC परीक्षा के लिए आवेदन करते हैं

हर वर्ष SSC की विभिन्न परीक्षाओं के लिए देशभर से करोड़ों छात्र आवेदन करते हैं।

चाहे वो CGL (Combined Graduate Level) हो, CHSL (Combined Higher Secondary Level) हो,

या MTS (Multi Tasking Staff)—हर परीक्षा युवाओं के लिए एक आशा की किरण होती है।

लेकिन बार-बार की प्रशासनिक चूकें इस आशा को निराशा में बदल देती हैं।

2017 से लेकर 2025 तक का रिकॉर्ड—घोटाले और निराशा

  • 2017 CGL पेपर लीक कांड: पूरे देश में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे। पेपर कैंसिल हुआ, CBI जांच हुई और रिजल्ट में तीन साल की देरी हुई।
  • 2025 SSC Phase-13 कांड: इस बार हालात और भी खराब रहे। कई सेंटरों पर परीक्षा स्थगित कर दी गई।
  • कहीं कंप्यूटर खराब थे, कहीं बायोमेट्रिक सिस्टम फेल। उम्मीदवारों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आईं।

‘SSC Mismanagement’ बना सोशल मीडिया पर आंदोलन

इस पूरे घटनाक्रम के विरोध में छात्र संगठनों और शिक्षकों ने सोशल मीडिया पर #SSCMismanagement ट्रेंड कराया।

लाखों छात्रों ने ट्वीट्स और वीडियो बनाकर अपने अनुभव साझा किए। कई ने बताया कि उन्हें सेंटर पर पहुंचकर पता चला कि परीक्षा ही रद्द हो गई है।

वेंडर सिस्टम की नाकामी और एडिक्वेटी पर सवाल

SSC खुद परीक्षाएं नहीं कराता, इसके लिए प्राइवेट वेंडर नियुक्त करता है।

इस बार एक वेंडर का नाम चर्चा में है—Adequate। छात्रों और विशेषज्ञों का कहना है

कि यह वेंडर पूर्व में भी परीक्षा संचालन में असफल रहा है और ब्लैकलिस्टेड भी किया गया था।

सवाल यह उठता है कि ऐसी कंपनियों को दोबारा ठेका क्यों दिया जाता है?

SSC का बजट—क्या यह पर्याप्त है?

SSC का सालाना बजट करीब ₹400–450 करोड़ है, जो इतने बड़े स्तर की परीक्षाओं को ठीक से

आयोजित करने के लिए अपर्याप्त है। तुलना करें तो अमेरिका या चीन की सरकारी

परीक्षा एजेंसियों के पास इससे कई गुना अधिक फंडिंग होती है। ऐसे में SSC को मजबूरी में सस्ते लेकिन अयोग्य वेंडर्स से काम कराना पड़ता है।

संरचना और जवाबदेही की भारी कमी

  • प्लानिंग की कमी: परीक्षा की तिथियाँ बार-बार बदलती हैं, एडमिट कार्ड देर से आते हैं।
  • तकनीकी अव्यवस्था: कंप्यूटर सेंटरों की संख्या और गुणवत्ता अपर्याप्त है।
  • प्रशासनिक जवाबदेही का अभाव: आज तक किसी अधिकारी ने SSC की विफलताओं की ज़िम्मेदारी नहीं ली।

UPSC बनाम SSC—एक तुलनात्मक विश्लेषण

UPSC की परीक्षा प्रणाली को SSC के मुकाबले काफी बेहतर माना जाता है। इसका कारण है

फिक्स्ड एग्जाम कैलेंडर, मजबूत प्रौद्योगिकी आधारित सिस्टम, और अत्यधिक पारदर्शिता। सवाल उठता है

कि क्या SSC को भी UPSC जैसी प्रणाली नहीं अपनानी चाहिए?

पेपर लीक: तकनीक के दौर में अस्वीकार्य अपराध

आज के समय में, जब डेटा एन्क्रिप्शन, क्लाउड सिक्योरिटी और डिजिटल फिंगरप्रिंट जैसी तकनीकें मौजूद हैं,

पेपर लीक होना अपने आप में प्रशासन की असफलता का सबूत है।

बार-बार लीक होना सिर्फ एक इत्तेफाक नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह और लचर सुरक्षा प्रणाली की ओर इशारा करता है।

क्या छात्रों के जीवन का कोई मोल नहीं?

जो छात्र कई वर्षों तक परीक्षा की तैयारी करते हैं, दिन-रात मेहनत करते हैं, उनके भविष्य के साथ

इस प्रकार का खिलवाड़ किसी भी संवेदनशील लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं हो सकता।

वे सिर्फ एक कंप्यूटर और एक शांत वातावरण की अपेक्षा करते हैं ताकि परीक्षा दे सकें। यह बहुत बड़ी मांग नहीं है।

प्रशासनिक असंवेदनशीलता: दिल्ली में लाठीचार्ज

दिल्ली में कुछ छात्रों द्वारा जब शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया, तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया।

यह प्रशासन की असंवेदनशीलता और संवादहीनता को उजागर करता है। इसके बजाय सरकार को चाहिए था कि वह छात्रों की बात सुने और समाधान खोजे।

सुझाव: SSC सुधारों की दिशा में ठोस कदम

  1. SSC का बजट बढ़ाया जाए ताकि बेहतर वेंडर नियुक्त किए जा सकें।
  2. SSC परीक्षा का वार्षिक कैलेंडर घोषित हो और उसका सख्ती से पालन हो।
  3. सभी वेंडर्स की परफॉर्मेंस ऑडिट की जाए और ब्लैकलिस्टेड कंपनियों को दोबारा ठेका न मिले।
  4. परीक्षा केंद्रों की गुणवत्ता में सुधार, कंप्यूटरों और नेटवर्क की नियमित जांच हो।
  5. टेक्नोलॉजी का सख्त उपयोग, जैसे लाइव मॉनिटरिंग, फेस रिकग्निशन आदि।
  6. एक स्वतंत्र शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया जाए जहां छात्र अपनी समस्याएं सीधे दर्ज करा सकें।

निष्कर्ष: क्या भारत युवाओं को उनका हक दे पाएगा?

यह पूरा मुद्दा सिर्फ SSC की परीक्षा का नहीं है। यह देश के करोड़ों युवाओं की आशाओं,

उनके भविष्य और उनके आत्मसम्मान का सवाल है। अगर सरकार और आयोग समय रहते सचेत नहीं हुए,

तो इसका असर केवल युवा वर्ग ही नहीं, पूरे देश की उत्पादकता, विश्वास और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर पड़ेगा।

हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एक देश की रीढ़ उसकी युवा पीढ़ी होती है।

और जब उसी पीढ़ी को बार-बार अपमानित किया जाए, उनके हक छीने जाएं, तो यह लोकतंत्र का सबसे बड़ा दुर्भाग्य होगा।


लेखक: static study  टीम
श्रेणी: शिक्षा | रोजगार | प्रशासनिक सुधार

श्रोत – Hindustan 

https://www.livehindustan.com/career/ssc-exam-mismanagement-protests-delhi-bouncers-students-demand-reform-at-jantar-mantar-201754043826823.html

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