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महँगी हुई खाद :BHARAT KE KHILAF CHIN KI RANNITI

महँगी हुई खाद : भारत और चीन के बीच तनाव केवल सीमाओं तक ही सीमित नहीं रहा है।

अब यह टकराव आर्थिक और रणनीतिक मोर्चों पर भी सामने आ रहा है।

महँगी हुई खाद :

महँगी हुई खाद :

हाल ही में जो खबरें सामने आई हैं, वे इस बात की ओर इशारा कर रही हैं

कि चीन भारत के कृषि भविष्य को प्रभावित करने के लिए एक “छुपा युद्ध” छेड़ चुका है।

चीन ने भारत को विशेष प्रकार के उर्वरकों (स्पेशलिटी फर्टिलाइज़र्स) की आपूर्ति को अनौपचारिक रूप से रोक दिया है।

ये वही उर्वरक हैं जो भारत के उच्च गुणवत्ता वाले फल, सब्ज़ी, चाय, कॉफी आदि के उत्पादन के लिए बेहद ज़रूरी हैं।

यह खबर सामान्य प्रतीत हो सकती है, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव बेहद गंभीर हो सकते हैं।


चीन की नई चाल:

कोई आधिकारिक घोषणा नहीं: चीन ने फॉर्मल बैन घोषित नहीं किया है,

बल्कि वहां के कस्टम अधिकारी और क्वारंटीन एजेंसियां भारत भेजे जाने वाले शिपमेंट्स को धीमा कर रही हैं

या रोक रही हैं।


भारत किन उत्पादों के लिए चीन पर निर्भर है?

भारत के स्पेशलिटी फर्टिलाइज़र्स की लगभग 80% आपूर्ति अभी तक चीन से होती रही है।
ये उर्वरक सामान्य यूरिया या डीएपी की तरह नहीं होते, बल्कि अधिक परिष्कृत होते हैं जैसे:

ये उर्वरक आमतौर पर उच्च मूल्य वाली फसलों में इस्तेमाल किए जाते हैं

— जैसे अनार, केला, अंगूर, आलू, शिमला मिर्च, चाय और कॉफी।

ये उर्वरक न केवल पैदावार बढ़ाते हैं, बल्कि गुणवत्ता में भी सुधार करते हैं।


क्यों है ये बड़ी चिंता?

  1. फसल की उत्पादकता पर असर: ये उर्वरक न हों तो उत्पादन घटेगा और गुणवत्ता भी गिरेगी।
  2. किसानों को आर्थिक नुकसान: स्पेशलिटी फर्टिलाइज़र महंगे होते हैं। अगर अब इन्हें चीन की बजाय दूसरे देशों से मंगाया गया तो लागत और बढ़ेगी।
  3. महंगाई का खतरा: प्रोडक्शन कम होगा, सप्लाई घटेगी, और फूड प्राइस बढ़ेंगे।

क्या भारत के पास विकल्प हैं?

तात्कालिक समाधान (Short-Term)

मध्यकालीन रणनीति (Mid-Term Strategy)

दीर्घकालीन समाधान (Long-Term)


क्या यह केवल कृषि संकट है? नहीं, यह एक कूटनीतिक दबाव रणनीति है

पिछले कुछ महीनों में चीन ने सिर्फ फर्टिलाइज़र ही नहीं, बल्कि कई अन्य जरूरी उत्पादों की आपूर्ति को भी प्रभावित किया है, जैसे:

यह सारी घटनाएं दर्शाती हैं कि चीन “नॉन-मिलिट्री प्रेशर स्ट्रैटेजी” अपना रहा है — बिना हथियार उठाए, लेकिन भारत पर दबाव बनाने की कोशिश।


भारत के लिए संदेश: वेक-अप कॉल

भारत के पास अभी भी मौका है कि वह:


निष्कर्ष

यह घटनाक्रम सिर्फ एक व्यापारिक समस्या नहीं, बल्कि एक रणनीतिक चेतावनी है।

चीन भारत के खिलाफ “सॉफ्ट इकोनॉमिक वार” छेड़ रहा है, जिसमें वह खुले युद्ध के बिना भारत की महत्वपूर्ण आवश्यकताओं को रोककर, उसे कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।

अब समय आ गया है कि भारत स्पेशलिटी फर्टिलाइज़र जैसे अहम सेक्टर्स में आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाए।


एक प्रश्न आपसे:

चीन द्वारा स्पेशलिटी फर्टिलाइज़र के निर्यात पर रोक सबसे अधिक किस प्रकार की फसलों को प्रभावित करेगा?

हमें अआजवाब देने के लिए निचे कमेंट बॉक्स में अपनी जवाब लिख और हमें भेजे या फिर अप हमें instagram में भी dm कर सकते है

हमे इंजर है आपके जवाब का सही जवाब देने वाले व्यक्ति का नाम अगली पोस्ट में पिन किया जायेगा ……………..

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