Iran Attack On America ईरान-अमेरिका टकराव: ऑपरेशन बशरत अल-फत के तहत अमेरिकी बेस पर बड़ा हमला
Static Study News | इंटरनेशनल डेस्क
2025 की शुरुआत ने विश्व राजनीति को झकझोर कर रख दिया है।
Iran Attack On America नोबेल शांति पुरस्कार के नॉमिनी रह चुके डोनाल्ड
ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान जो तनाव अमेरिका और ईरान के बीच पनपा था,
वह अब चरम सीमा पर पहुंच चुका है।
ईरान ने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर “ऑपरेशन बशरत अल-फत” लॉन्च करते हुए कई देशों में एक साथ मिसाइल हमले शुरू कर दिए हैं।
यह प्रतिक्रिया अमेरिकी “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” के जवाब में आई है,
जिसके तहत अमेरिका ने अपने बी-2 बॉम्बर्स से ईरान के न्यूक्लियर बेस पर हमला किया था।
कई देशों में अमेरिका के बेस पर हमले
बताया जा रहा है कि ईरान ने कुवैत, क़तर, बहरैन और इराक में मौजूद अमेरिकी सैन्य अड्डों पर मिसाइल हमले किए हैं।
शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिसाइल डिफेंस सिस्टम ने कई मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया, लेकिन कुछ हमले सफल भी रहे हैं।
विशेष रूप से क़तर ने बयान जारी कर कहा है कि “हमारी संप्रभुता का उल्लंघन हुआ है और हम इसका जवाब देंगे।”
वीडियो फुटेज और सैटेलाइट तस्वीरें
दोहा (क़तर) से सामने आए वीडियो में ईरानी मिसाइलें अमेरिकी अड्डों की ओर जाती हुई दिख रही हैं।
वहीं, अमेरिकी डिफेंस सिस्टम इन्हें इंटरसेप्ट करता हुआ भी नजर आया।
घटनाक्रम की संवेदनशीलता को देखते हुए अभी तक कितने अमेरिकी सैनिक हताहत हुए हैं, इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।
अमेरिका की संभावित प्रतिक्रिया
यदि यह पुष्टि हो जाती है कि अमेरिकी सैनिकों की जान गई है, तो अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी देश जैसे ब्रिटेन और फ्रांस, सीधे युद्ध में उतर सकते हैं।
ब्रिटेन पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि वह अमेरिका के साथ है, लेकिन उसके आक्रमण के तरीके से असहमत है।
नाटो का आर्टिकल-5 एक्टिव हो सकता है, जिसके बाद सामूहिक जवाबी कार्रवाई की संभावना बढ़ जाती है।
ईरान की मिसाइल क्षमता और सीमाएं
ईरान के पास अभी तक ऐसी कोई इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) नहीं है जिससे वह अमेरिका की
मुख्यभूमि पर हमला कर सके। उसकी सबसे लंबी दूरी की मिसाइल, “सेजल”, 2000–2500 किमी तक पहुंच सकती है।
अतः ईरान अमेरिका के मध्य-पूर्व में फैले बेसों को ही टारगेट कर रहा है।
इसका कितना प्रभाव होगा भारत पर
इस पूरे संघर्ष में भारत के हित भी प्रभावित हो सकते हैं।
मध्य पूर्व में लाखों भारतीय प्रवासी रहते हैं
— विशेषकर यूएई, सऊदी अरब, क़तर और कुवैत में।
किसी भी मिसाइल हमले या उसके मलवे के गिरने से नागरिकों की जान को खतरा हो सकता है।
इसके अलावा, यदि ईरान “स्ट्रेट ऑफ हरमूज़” को बंद करता है, तो भारत की ऊर्जा आपूर्ति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
आईये जानते है इस न्यूज़ का निष्कर्ष –
ईरान का यह हमला केवल अमेरिका के साथ टकराव नहीं, बल्कि पूरे मध्य-पूर्व को एक संकट में डाल सकता है।
वैश्विक बाज़ार, ऊर्जा आपूर्ति और कूटनीतिक संतुलन सबकुछ इस संघर्ष से प्रभावित हो सकता है।
Static Study News इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है
और जैसे ही कोई बड़ा अपडेट आता है, हम आपको सूचित करेंगे।
https://www.cnn.com/world/live-news/israel-iran-us-strikes-06-23-25-intl-hnk
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