Skip to content

Static Study

News with Static Study

लक्षद्वीप का इतिहास:

लक्षद्वीप का इतिहास:

लक्षद्वीप का इतिहास: समुद्री सीमाओं से भारतीय पहचान तक

लक्षद्वीप का इतिहास

लक्षद्वीप का इतिहास: अज हम बात करने वाले है लक्ष्यद्वीप के इतिहास के बारे में – जब 1947 में भारत का विभाजन हुआ, तब देश का ध्यान मुख्य रूप से पंजाब और बंगाल जैसे मुख्य क्षेत्रों पर केंद्रित था। इन क्षेत्रों में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे, और नई सीमाओं को लेकर असमंजस फैला हुआ था। लेकिन इसी बीच, एक और रणनीतिक स्थान पाकिस्तान के निशाने पर था — अरब सागर में स्थित छोटा-सा द्वीपसमूह, लक्षद्वीप।

 कैसे बना लक्ष्य ,  लक्षद्वीप

विभाजन के समय पाकिस्तान की एक नौसेना जहाज दक्षिण की ओर रवाना हुई। उसका गंतव्य था लक्षद्वीप। इसका सामरिक महत्व बहुत बड़ा था — यह द्वीप भारत के केरल तट से केवल 500 किलोमीटर दूर है और इसकी जनसंख्या लगभग 93% मुस्लिम है। लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल ने इसे भारत के हाथों से फिसलने नहीं दिया।

उन्होंने रामास्वामी मुदलियार और उनके भाई डॉ. लक्ष्मण स्वामी मुदलियार को इस मिशन पर भेजा।

वे दोनों लक्षद्वीप पहुँचे और भारतीय तिरंगा फहराया। इस प्रतीकात्मक कार्य ने पाकिस्तान की रणनीति को विफल कर दिया।

पाकिस्तानी जहाज को लौटना पड़ा और इस तरह लक्षद्वीप भारत का हिस्सा बना।

लक्षद्वीप की भौगोलिक विशेषता

लक्षद्वीप का कुल क्षेत्रफल मात्र 32 वर्ग किलोमीटर है और यह 36 छोटे-छोटे द्वीपों से मिलकर बना है।

इनमें से कुछ प्रमुख द्वीप हैं — अगाती, मिनीकॉय, कवरत्ती, अमीनी और अंधरोट। यहां लगभग 65,000 लोग रहते हैं, जिनमें अधिकांश मुस्लिम हैं।

लक्षद्वीप का प्राचीन इतिहास और मान्यताएं

लक्षद्वीप का इतिहास लिखित रूप में अधिक उपलब्ध नहीं है, इसलिए स्थानीय लोक कथाएं और परंपराएं ही प्रमुख स्रोत हैं।

एक लोककथा के अनुसार, चेरामन पेरुमल नामक केरल के एक राजा ने इस्लाम कबूल किया

और मक्का की ओर यात्रा पर निकल गए। उनके सैनिकों ने उन्हें खोजने के लिए समुद्री यात्रा की,

लेकिन तूफान में फंसकर बांगाराम द्वीप पर पहुँच गए। लौटते समय उन्होंने और द्वीपों की खोज की

— जैसे अगाती और अमीनी — और कुछ लोग वहीं बस गए। इसे लक्षद्वीप में पहले मानव बसावट की शुरुआत माना जाता है।

इस्लाम का आगमन

इस्लाम का आगमन 7वीं शताब्दी में हुआ जब अरब व्यापारी मालाबार तट के जरिए भारत पहुंचे।

व्यापार के साथ-साथ उन्होंने धार्मिक प्रसार भी किया। इस्लाम के प्रचार में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई शेख उबेदुल्लाह ने।

मक्का में एक सपने में उन्हें पैगंबर मुहम्मद ने पूरी दुनिया में इस्लाम फैलाने का निर्देश दिया।

अपनी समुद्री यात्रा के दौरान उनका जहाज डूब गया और वे लकड़ी के तख्ते पर तैरते हुए अमीनी द्वीप पहुंचे।

वहां उन्होंने इस्लाम का प्रचार शुरू किया लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण उन्हें अन्य द्वीपों

— कवरत्ती, अगाती, अंधरोट — की ओर जाना पड़ा। वहीं वे बस गए और उनकी कब्र पर एक मस्जिद बनी जो आज पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।

राजनीतिक शासन और यूरोपीय प्रभाव

लक्षद्वीप ने कभी भी स्वतंत्र शासक नहीं देखे। इसे हमेशा मुख्य भूमि भारत से शासित किया गया। 1100 ई.

के आसपास केरल के कुलशेखर वंश ने इसे अपने राज्य में मिला लिया। इसके बाद कायतरी वंश ने शासन किया।

13वीं सदी में मशहूर यूरोपीय यात्री मार्को पोलो ने ‘महिला द्वीप’ का उल्लेख किया, जो संभवतः मिनीकॉय रहा होगा।

फिर 1498 में वास्को-दा-गामा पहुंचे और यहां की कोयिर (नारियल रेशा) की प्रचुरता देखी।

पुर्तगालियों ने व्यापारिक नियंत्रण पाने की कोशिश की लेकिन 1545 में स्थानीय विद्रोह ने उन्हें बाहर कर दिया।

इसके बाद अरक्कल रियासत, जो एक मुस्लिम महिला शासिका द्वारा शासित थी, ने इन द्वीपों पर अधिकार किया।

लेकिन 18वीं सदी के अंत में टीपू सुल्तान के आगमन के बाद नियंत्रण फिर बदल गया।

ब्रिटिश शासन का आगमन

1799 में टीपू सुल्तान की हार के बाद ब्रिटिशों ने उनके हिस्से के द्वीप अपने कब्जे में ले लिए।

1847 में अंधरोट द्वीप में आए एक भीषण चक्रवात ने बाकी द्वीपों को भी ब्रिटिशों की झोली में डाल दिया।

सहायता के बदले में उन्होंने ऋण दिया और उसे न चुका पाने पर पूरे लक्षद्वीप को अपने शासन में ले लिया।

1907 में इसे मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा बना दिया गया और 1912 में लक्षद्वीप विनियमन अधिनियम

लाया गया जिससे स्थानीय अधिकारियों को सीमित अधिकार दिए गए।

स्वतंत्रता के बाद का भारत और लक्षद्वीप

1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब लक्षद्वीप मालाबार जिले (वर्तमान केरल) का हिस्सा था

और अधिकांश लोग मलयालम बोलते थे। फिर भी इसे केरल का हिस्सा न बनाकर 1956 में केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया।

इसके पीछे एक किस्सा है — केरल के कम्युनिस्ट नेता ए.के. गोपालन ने प्रधानमंत्री नेहरू से आग्रह किया

कि इसे केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया जाए ताकि प्रशासनिक नियंत्रण सीधे केंद्र सरकार के पास रहे।

नेहरू ने उनकी बात मानी और उसी दिन जब केरल राज्य बना, लक्षद्वीप भी केंद्रशासित प्रदेश बना।

1973 में इसका नाम बदलकर लक्षद्वीप रखा गया। संस्कृत और मलयालम में इसका अर्थ होता है — “लक्ष (100,000) द्वीप।”

आधुनिक लक्षद्वीप और पर्यटन की चुनौती

आज लक्षद्वीप भारत का एक संभावनाओं से भरा पर्यटन स्थल है लेकिन आधारभूत सुविधाओं की कमी इसकी प्रगति में बाधा है।

2021-22 के बीच केवल 18,000 पर्यटक लक्षद्वीप पहुंचे, जिनमें से केवल दो विदेशी थे।

पूरे द्वीपसमूह में 150 होटल रूम से भी कम हैं — जो किसी भी पर्यटन केंद्र के लिए अपर्याप्त हैं।

फिर भी उम्मीद की किरण दिखाई देती है — लगभग 20,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना है।

टाटा ग्रुप द्वारा दो रिसॉर्ट्स 2026 तक शुरू किए जाएंगे। इससे पर्यटन को गति मिल सकती है।

मालदीव और लक्षद्वीप की तुलना

हाल ही में सोशल मीडिया पर लक्षद्वीप बनाम मालदीव की बहस छिड़ी हुई है।

लेकिन अगर आप मिनीकॉय द्वीप देखें तो पाएंगे कि यह मालदीव से केवल 53 समुद्री मील दूर है

और वहां धीवेही भाषा बोली जाती है — जो मालदीव में भी बोली जाती है।

सांस्कृतिक और भाषाई समानता के कारण दोनों क्षेत्रों के बीच गहरा संबंध है।

इसलिए यह लड़ाई “लक्षद्वीप बनाम मालदीव” नहीं बल्कि “लक्षद्वीप और मालदीव” होनी चाहिए — एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के रूप में।


अंतिम शब्द :-

लक्षद्वीप भारत की समुद्री विरासत का एक अनमोल रत्न है — इसकी कहानी महज रेत और नारियल के पेड़ों तक सीमित नहीं है।

यह संघर्ष, संस्कृति, धर्मांतरण, समुद्री मार्ग और रणनीतिक सोच की जीवंत मिसाल है। आज जब भारत समुद्री सुरक्षा

और ब्लू इकोनॉमी को लेकर नए कदम उठा रहा है, तब लक्षद्वीप का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

आइए, इस द्वीप को समझें, इसकी आवाज़ को सुनें, और इसके विकास की ओर मिलकर कदम बढ़ाएं।

https://lakshadweep.gov.in/hi/

Zomato बनाएगा अब प्लेन

क्यू अचानक निकाल परवेश रावल को ?

भारत ने खोये अपने फाइटर जहाज

महँगी हुई खाद :

 इंसानों के खिलाफ बगावत कर चुका है- ROBOT AI VS HUMINITY 

लक्षद्वीप का इतिहास

लक्षद्वीप का इतिहास


 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *