भारत ने खोये अपने फाइटर जहाज –
भारत ने खोये अपने फाइटर जहाज- दोस्तों ओप्रेसन सिन्दूर के बाद ये मामला सुरु हो गया है जिसको लेके विवाद सूरू हो गया है आईये जानते है इसकी सच्चाई –
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नए विवाद की शुरुआत
हाल के सप्ताहों में भारत में एक चर्चा ने तेजी से जोर पकड़ा है — यह चर्चा है “ऑपरेशन सिंदूर” को लेकर।
इंटरनेट पर, टीवी चैनलों पर, और न्यूज़ पोर्टलों पर लगातार आर्टिकल्स, रिपोर्ट्स और विश्लेषण सामने आ रहे हैं।
विवाद की चिंगारी तब भड़की जब इंडोनेशिया में एक डिफेंस सेमिनार के दौरान भारतीय नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी,
कर्नल शिव कुमार, द्वारा दिया गया बयान मीडिया में चर्चित हो गया।
यह बयान कुछ इस तरह प्रस्तुत किया गया कि भारत सरकार ने एयरफोर्स को सीमित अधिकार दिए थे,
जिसके कारण ऑपरेशन सिंदूर के शुरुआती चरण में नुकसान उठाना पड़ा। क्या यह सच है? या फिर एक बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया?
आइए इस पूरे मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।
ऑपरेशन सिंदूर: कैसे हुआ
“ऑपरेशन सिंदूर” भारत द्वारा हाल ही में चलाया गया एक गुप्त वायु अभियान था,ऑपरेशन सिंदूर: भारत की सैन्य चतुराई ने किया पाकिस्तान को चकित
जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाना था। इस ऑपरेशन की शुरुआत एक अचानक की गई एयरस्ट्राइक से हुई थी,
लेकिन यह अभियान केवल एक सीमित कार्रवाई नहीं था — यह एक पूर्ण सैन्य रणनीति के तहत किया गया एक गहन और योजनाबद्ध प्रयास था।
प्रारंभिक दावे और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया
ऑपरेशन शुरू होते ही पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने भारत के कई फाइटर जेट्स को मार गिराया है। भारत ने भी यह स्वीकार किया
कि कुछ हानियाँ हुई थीं, लेकिन इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि भारत ने इस ऑपरेशन के अंतिम दिनों में पाकिस्तान पर पूर्ण वायु नियंत्रण (Air Superiority) स्थापित कर लिया था।
भारत के हमले इतने सटीक थे कि पाकिस्तान के एयरबेस, मिसाइल डिफेंस सिस्टम और कई अहम सैन्य ठिकाने पूरी तरह नष्ट कर दिए गए।
विवाद की जड़: इंडोनेशिया में बयान
हाल ही में इंडोनेशिया में आयोजित एक रक्षा संगोष्ठी में भारतीय नौसेना के अधिकारी कर्नल शिव कुमार ने एक प्रस्तुति दी।
इस कार्यक्रम में, इंडोनेशिया के एक अधिकारी ने यह दावा किया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय एयरफोर्स को भारी नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि उनका संपर्क टूट गया था। https://www.jagran.com/world/indonesia-operation-sindoor-controversy-indian-embassy-clarifies-defense-attaches-statement-23970978.html
इसके बाद जब भारतीय अधिकारी की बारी आई, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि:
“हम इस बात से सहमत नहीं हैं कि इतने सारे फाइटर जेट्स गिरे थे, लेकिन हाँ, हमें कुछ नुकसान हुए।
और वह केवल इसलिए हुए क्योंकि हमें राजनीतिक नेतृत्व की ओर से यह निर्देश मिला था
कि हमें केवल आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाना है, पाकिस्तान की सेना या उनके एयर डिफेंस को नहीं।”
मीडिया का विश्लेषण और विवाद की आग
यहीं से विवाद की चिंगारी भड़की।
कई मीडिया हाउस और विशेषज्ञों ने इस बयान को इस रूप में पेश किया कि:
“भारत सरकार ने इंडियन एयरफोर्स को फुल फ्रीडम नहीं दी थी, इसीलिए हमें शुरुआती नुकसान हुए।”
हालाँकि, अगर हम पूरे बयान को गहराई से देखें, तो ऐसा कहीं नहीं कहा गया कि सिर्फ इसी कारण नुकसान हुआ।
कर्नल शिव कुमार ने केवल यह स्पष्ट किया कि ऑपरेशन के प्रारंभिक चरण में कुछ रणनीतिक सीमाएं थीं, जो बाद में हटा दी गईं।
सरकार की प्रतिक्रिया: स्पष्टीकरण और बचाव
जब यह बयान सोशल मीडिया और मीडिया चैनलों पर वायरल हुआ, तो भारत सरकार की ओर से
इंडोनेशिया स्थित भारतीय एंबेसी ने एक आधिकारिक बयान जारी किया। इसमें कहा गया कि:
“भारतीय नेवी अधिकारी को उनके बयान से बाहर के संदर्भ में कोट किया गया है।
उन्होंने केवल यह समझाने का प्रयास किया कि भारत की सशस्त्र सेनाएँ
लोकतांत्रिक राजनीतिक नेतृत्व के तहत कार्य करती हैं, unlike some neighboring countries.”
सरकार का यह भी कहना था कि यह बयान किसी प्रकार से सरकार की रणनीति पर उंगली नहीं उठा रहा था,
बल्कि यह केवल एक तथ्य का प्रस्तुतीकरण था।
रणनीतिक विश्लेषण: क्या शुरुआती आदेश सही थे?
अब सवाल यह उठता है कि अगर शुरुआती आदेशों में केवल आतंकवादी ठिकानों को टारगेट करने की बात थी
और पाकिस्तान की सेना को नहीं छेड़ना था, तो क्या यह रणनीति सही थी?
विशेषज्ञों के मतभेद हैं:
पक्ष में तर्क:
- भारत एक ज़िम्मेदार लोकतंत्र है और एक नियोजित जवाब देता है।
- पाकिस्तान की सेना पर सीधा हमला युद्ध का न्योता हो सकता था।
- विश्व मंच पर भारत की स्थिति मजबूत बनी रहती है जब वह केवल आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करता है।
विपक्ष में तर्क:
- पाकिस्तान की मिलिट्री ही आतंकवादी नेटवर्क की संरक्षक है।
- अगर सेना को पूरी आज़ादी दी जाती तो नुकसान कम होता।
- इस तरह की सीमाएं दुश्मन को मौका देती हैं पलटवार करने का।
अंतर्राष्ट्रीय तुलना: इजरायल की नीति
इजराइल के हालिया ऑपरेशन राइजिंग लाइन को देखें तो वहाँ रणनीति बहुत स्पष्ट थी —
आतंकवादियों के साथ-साथ उन्हें समर्थन देने वाले मिलिट्री ढांचे पर भी हमला किया गया। इससे इजराइल को त्वरित और निर्णायक जीत मिली।
क्या भारत को भी इसी तरह की नीति अपनानी चाहिए थी? इस पर अभी भी बहस जारी है।
पाकिस्तान की चुप्पी और सूचना युद्ध
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के 12 से अधिक एयरबेस, मिसाइल डिफेंस सिस्टम और प्रमुख सैन्य ठिकानों को नुकसान पहुँचाया।
लेकिन पाकिस्तान ने आज तक अपने नुकसान की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
यह एक सूचना युद्ध (Information Warfare) का हिस्सा है — जहाँ देश अपने लोगों का मनोबल बनाए रखने के लिए नुकसान छुपाते हैं।
भारत ने पारदर्शिता दिखाई, लेकिन इस पारदर्शिता को कई बार हमारे खिलाफ ही मोड़ा जाता है।
निष्कर्ष: हमें क्या सीखना चाहिए?
“ऑपरेशन सिंदूर” केवल एक सैन्य अभियान नहीं था, यह भारत की रणनीतिक सोच, राजनीतिक निर्देश, और सूचना युद्ध की समझ का भी परीक्षण था।
मुख्य बातें:
- हाँ, ऑपरेशन के शुरुआती चरण में निर्देश सीमित थे।
- एयरफोर्स को बाद में पूरी छूट मिली और भारत ने एयर सुपीरियरिटी हासिल की।
- बयान को गलत तरीके से कोट किया गया और विवाद पैदा हुआ।
- भारत सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी कि लोकतंत्र में सैन्य बल राजनीतिक नेतृत्व के अधीन रहते हैं।
भविष्य की राह: भाग 2 की तैयारी?
प्रशांत धवन जैसे विशेषज्ञ यह संकेत देते हैं कि शायद “ऑपरेशन सिंदूर” समाप्त नहीं हुआ है।
इसके अगले चरण में भारत ज्यादा स्पष्ट रणनीति और सूचना युद्ध में भी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करवा सकता है।
अंत में…
इस पूरे विवाद से हमें यह सीख मिलती है कि:
- बयानों को संदर्भ के साथ समझना चाहिए।
- राष्ट्रीय सुरक्षा विषयों पर जल्दबाजी में राय नहीं बनानी चाहिए।
- राजनीतिक और सैन्य समन्वय में पारदर्शिता और लक्ष्य की स्पष्टता अनिवार्य है।
“ऑपरेशन सिंदूर” भारत के लिए केवल एक युद्ध नहीं था
— यह रणनीति, नियंत्रण और जनमत के प्रबंधन का भी एक बड़ा पाठ था।
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