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भारत पर मंडरा रहा है नेटो का खतरा?

भारत पर मंडरा रहा है नेटो का खतरा?

भारत रत पर मंडरा रहा है नेटो का खतरा?रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच नई वैश्विक साजिश!

भारत पर मंडरा रहा है नेटो का खतरा?

भारत पर मंडरा रहा है नेटो का खतरा?

नई दिल्ली | स्टैटिक स्टडी विशेष रिपोर्ट | 17 जुलाई

भारत पर मंडरा रहा है नेटो का खतरा?   जी हा दोस्तों  एक बार फिर युद्ध के मुहाने पर खड़ी नजर आ रही है।

रूस और यूक्रेन के बीच जारी तीन साल पुराने संघर्ष ने अब एक खतरनाक मोड़ ले लिया है।

अब मामला सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अमेरिका और नेटो की धमकियों ने भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों को भी सीधा निशाना बना लिया है।

नेटो के मौजूदा महासचिव मार्क रट ने हाल ही में ऐसा बयान दिया है,

जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है।

उन्होंने कहा, “अगर आप दिल्ली, बीजिंग या ब्रासीलिया में रहते हैं, तो तैयार हो जाइए — हम आपको जोरदार झटका देने वाले हैं।”

सीधे निशाने पर भारत, चीन और ब्राजील क्या होगा आगे ?

इस बयान का मतलब बेहद स्पष्ट है। नेटो अब उन देशों को धमका रहा है जो रूस के साथ अपने रिश्ते बनाए हुए हैं।

भारत, चीन और ब्राजील — ये तीनों देश आज भी रूस से तेल और अन्य वस्तुएं खरीद रहे हैं

, जबकि अमेरिका और यूरोप पहले ही रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा चुके हैं।

मार्क रट का मानना है कि अगर रूस ने आने वाले 50 दिनों में यूक्रेन युद्ध खत्म नहीं किया,

तो नेटो और अमेरिका मिलकर रूस पर सीधा हमला कर सकते हैं — और जिन देशों ने रूस का साथ दिया, उन्हें भी नहीं बख्शा जाएगा।

ट्रंप की दो टूक: रूस पर हमला या सीजफायर! इसका क्या कारन हो सकता है ?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मसले को और भी पेचीदा बना दिया है।

उनका कहना है कि रूस को अगले 50 दिनों में युद्ध रोकना होगा।

अगर ऐसा नहीं हुआ, तो अमेरिका मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग जैसे शहरों को बम से उड़ा देगा।

हालांकि, ट्रंप की राजनीतिक शैली को देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि वह अक्सर अपने बयानों से पलट जाते हैं।

एक दिन कहते हैं कि मॉस्को पर हमला करो, और अगले ही दिन कहते हैं, “रुको, अभी मत बम गिराओ।”

भारत के लिए बढ़ी चिंता: 500% टैरिफ की धमकी , अब क्या करेगा भारत ?

इस घटनाक्रम में सबसे ज्यादा खतरे की घंटी भारत के लिए बजी है।

अमेरिका और नेटो की ओर से स्पष्ट संकेत दिए गए हैं कि अगर भारत ने रूस से व्यापार जारी रखा

, तो उस पर 100% से 500% तक टैरिफ लगाए जा सकते हैं।

तेल, गैस, फर्टिलाइज़र, हथियार — भारत इन सब चीज़ों के लिए रूस पर काफी हद तक निर्भर है।

अगर इन पर भारी-भरकम टैक्स लगा दिए गए, तो भारत की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है।

क्या रूस झुकेगा? पुतिन ने दिया साफ जवाब ?

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस अल्टीमेटम को सिरे से खारिज कर दिया है।

उनका कहना है कि रूस को कोई आदेश नहीं दे सकता। पुतिन का तर्क है

कि युद्ध के दौरान रूस ने हजारों सैनिक गंवाए हैं और ऐसे में अगर वह किसी बाहरी दबाव में आकर युद्ध रोकता है,

तो यह उनकी सत्ता और देश की प्रतिष्ठा के लिए आत्मघाती होगा।

क्या यह दबाव उचित है? या फिर नहीं ?

यह सवाल भी खड़ा हो रहा है कि क्या यह उचित है कि अमेरिका और नेटो तीसरे देशों को धमका रहे हैं

कि वे रूस से रिश्ते तोड़ लें? क्या यह एकतरफा वैश्विक नियंत्रण का प्रयास है?

विश्लेषकों का मानना है कि यह एक नई किस्म की भूराजनीतिक रणनीति है —

प्रत्यक्ष युद्ध नहीं, बल्कि आर्थिक और कूटनीतिक आतंक के ज़रिए अपने एजेंडे को आगे बढ़ाना।

चीन और ब्राजील की स्थिति क्या है ?

चीन ने इस मसले पर कड़ा रुख अपनाया है। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में चीन ने अमेरिका की इस नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि,
“चीन किसी भी एकतरफा प्रतिबंध का विरोध करता है।”

ब्राजील की तरफ से भी संकेत मिले हैं कि वह अपने आर्थिक हितों से समझौता नहीं करेगा।

भारत की चुप्पी: कब तोड़ेगा विदेश मंत्रालय मौन? आईये जानते है ?

भारत सरकार की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के अगले बयान पर सभी की नजरें टिकी हैं। कूटनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को जल्द ही एक मजबूत और स्पष्ट स्टैंड लेना चाहिए।

मार्क रट कौन हैं? क्या है इसका अर्थ ?

नेटो के महासचिव मार्क रट को ट्रंप का करीबी माना जाता है। एक यूरोपीय समिट में उन्होंने यहां तक कह दिया कि “डोनाल्ड ट्रंप मेरे डैडी हैं।” इसके बाद से यह आशंका और बढ़ गई है कि ट्रंप का प्रभाव नेटो की नीतियों पर हावी हो चुका है।

यूरोपीय एकता में दरार?

सभी यूरोपीय देश ट्रंप और नेटो की नीति से सहमत नहीं हैं। स्लोवेनिया जैसे देशों ने यूरोपीय यूनियन के रूस पर नए प्रतिबंधों को ब्लॉक कर दिया है। कई देशों का मानना है कि इससे यूरोप की अपनी अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है, जबकि रूस पर कोई खास असर नहीं पड़ रहा।

क्या भारत को डरने की जरूरत है?

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन चुप रहना भी सही रणनीति नहीं होगी।

तो भारत को दुनिया को यह बताना होगा कि वह किसी भी बाहरी दबाव में आकर अपनी विदेश नीति नहीं बदलेगा।

भारत की नीति हमेशा से “रणनीतिक स्वतंत्रता” (Strategic Autonomy) पर आधारित रही है।

चाहे अमेरिका हो या रूस — भारत अपने हितों को पहले रखता है।


निष्कर्ष: ये 50 दिन क्यों हैं अहम?

ट्रंप और नेटो की चेतावनी के मुताबिक, आने वाले 50 दिन निर्णायक होंगे। या तो रूस युद्ध खत्म करेगा,

\या फिर वैश्विक राजनीति एक और टकराव की ओर बढ़ेगी।

इन 50 दिनों में भारत, चीन और ब्राज़ील जैसे देशों के रुख पर भी नजरें टिकी रहेंगी।

क्या ये देश रूस पर दबाव डालेंगे? या फिर अमेरिका और नेटो की धमकियों को नजरअंदाज करेंगे?

एक बात तो तय है — अगर भारत, चीन और ब्राजील झुके, तो यह वैश्विक शक्ति संतुलन को पूरी तरह बदल देगा।


आपका सवाल:

भारत के गुजरात स्थित गिफ्ट सिटी में हाल ही में एक प्रमुख विदेशी बैंक ने अपनी ब्रांच खोली है

CTBC Bank। क्या आप जानते हैं यह किस देश का सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है?

ऑप्शंस:

  1. अमेरिका
  2. ताइवान
  3. जापान
  4. सिंगापुर

सही उत्तर कमेंट में दीजिए — सही जवाब देने वाले को मिलेगा स्टैटिक स्टडी की तरफ से हार्ट ❤️


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