प्रधानमंत्री मोदी की पांच देशों की ऐतिहासिक यात्रा: आठ दिन, पांच देश, एक मिशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ दिवसीय पांच देशों की विदेश यात्रा की शुरुआत की।
यह उनकी अब तक की सबसे लंबी यात्रा है।
अधिकतर वैश्विक नेता आजकल छोटी यात्राओं को पसंद करते हैं।
लेकिन मोदी की यह यात्रा बिल्कुल अलग सोच को दर्शाती है।
यह भारत की विदेश नीति में एक नए अध्याय की शुरुआत है।
भारत अब Global South की ओर निर्णायक कदम बढ़ा रहा है।
यात्रा कार्यक्रम: रणनीतिक और ऐतिहासिक
यात्रा की शुरुआत नई दिल्ली से हुई।
पहला पड़ाव था घाना — पिछले 30 वर्षों में पहली भारतीय प्रधानमंत्री यात्रा।
दूसरा पड़ाव था त्रिनिदाद और टोबैगो।
यहां पिछली उच्चस्तरीय भारतीय यात्रा 1999 में हुई थी।
तीसरा देश अर्जेंटीना था।
यह भारत की 57 वर्षों में पहली आधिकारिक यात्रा थी।
फिर मोदी ब्राज़ील पहुंचे जहां BRICS सम्मेलन आयोजित हुआ।
उन्होंने वहां एक राजकीय भोज में भी हिस्सा लिया।
लौटते समय उन्होंने अफ्रीकी देश नामीबिया में रुककर ऐतिहासिक यात्रा को पूर्ण किया।
भारत की विदेश नीति के दो उद्देश्य
1. पुराने राजनयिक खालीपन को भरना
भारत ने वर्षों तक इन क्षेत्रों से दूरी बना रखी थी।
अब भारत यह दिखा रहा है कि वह इन क्षेत्रों को महत्व देता है।
2. वैश्विक दक्षिण में भारत की भूमिका
भारत अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई देशों में अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहता है।
यही इस यात्रा का मूल उद्देश्य है।
वैश्विक दक्षिण (Global South) क्या है?
यह शब्द उन देशों के लिए प्रयोग होता है जो विकासशील या अविकसित हैं।
अधिकतर ये देश अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में हैं।
इनकी जनसंख्या युवा है और संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं।
संयुक्त राष्ट्र के 193 में से 123 देश इसी श्रेणी में आते हैं।
इन देशों में एकता का अभाव है।
भारत को इसी कमी में अवसर दिखाई दे रहा है।
भारत का दृष्टिकोण: समानता और साझेदारी
मोदी ने कहा, “मेरी यह यात्रा वैश्विक दक्षिण के साथ मित्रता को मजबूत करेगी।”
उन्होंने बहुपक्षीय मंचों पर भारत की भागीदारी बढ़ाने की बात कही।
यह यात्रा द्विपक्षीय नहीं, बल्कि एक वैश्विक रणनीति है।
भारत अब नेतृत्वकारी भूमिका की ओर बढ़ रहा है।
पड़ाव और उनका महत्व
घाना (अफ्रीका)
भारत-घाना व्यापार मजबूत है।
यह यात्रा अफ्रीका में भारत की भागीदारी बढ़ाएगी।
त्रिनिदाद और टोबैगो
यहां भारतीय मूल की आबादी सबसे अधिक है।
यह पड़ाव सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक है।
अर्जेंटीना
यह देश लिथियम और खनिजों का भंडार है।
भारत की ऊर्जा नीति के लिए यह रणनीतिक है।
ब्राज़ील
यह लैटिन अमेरिका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
ब्राज़ील और भारत BRICS में सहयोगी हैं।
नामीबिया
भारत ने यहां से चीते वापस लाए थे।
दोनों देशों का व्यापार बहुत तेज़ी से बढ़ा है।
चीन की चुनौती और भारत का अवसर
अफ्रीका में चीन का प्रभाव बहुत बढ़ा है।
वह अब वहां का सबसे बड़ा साझेदार बन चुका है।
लैटिन अमेरिका में भी चीन की पकड़ मजबूत हुई है।
2035 तक वह सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन सकता है।
चीन की लोन डिप्लोमेसी विवादों में है।
देश अब भारत के मॉडल को ज़्यादा पसंद कर रहे हैं।
भारत बिना शर्त और दबाव के सहयोग करता है।
इसलिए वह भरोसेमंद विकल्प बन रहा है।
भारत क्या चाहता है?
india सिर्फ व्यापार नहीं, एक राजनीतिक गठबंधन बनाना चाहता है।
इसमें कुछ प्रमुख उद्देश्य हैं:
- आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता।
- संयुक्त राष्ट्र में सुधार की मांग।
- जलवायु परिवर्तन और कर्ज संकट पर साझा आवाज।
- चीन की नीतियों का संतुलन।
निष्कर्ष: भारत की नेतृत्वकारी भूमिका की शुरुआत
घोषणाओं से ज़्यादा ज़रूरी है ज़मीन पर काम करना।
भारत को इन देशों में विश्वास पैदा करना होगा।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा इसी दिशा में एक कदम है।
यह भारत की रणनीतिक और समावेशी विदेश नीति का संकेत है।
इस पहल से भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत होगी।
साथ ही, विकासशील देशों को साझा और सम्मानजनक भविष्य मिलेगा।
Leave a Reply