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सरकार की नई योजना: ELI

सरकार की नई योजना: एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (ELI)

सरकार की नई योजना: ELI – भारत में बेरोजगारी एक गंभीर और बहुपरिणामी समस्या रही है। शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद लाखों युवाओं को आज भी नौकरियों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इसी पृष्ठभूमि में केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है, जिसे देश के इतिहास की सबसे बड़ी एम्प्लॉयमेंट स्कीम बताया जा रहा है। इस योजना का नाम है “एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम” (Employment Linked Incentive Scheme – ELI)। इस योजना के माध्यम से सरकार ने अगले दो वर्षों में 3.5 करोड़ नौकरियां सृजित करने का लक्ष्य रखा है। आइए इस योजना को विस्तार से समझते हैं।

क्या है ये एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम-

इस स्कीम के तहत दो मुख्य घटक हैं:

  1. फर्स्ट टाइम वर्कर्स के लिए इंसेंटिव
  2. नए रोजगार देने वाले एम्प्लॉयर्स को इंसेंटिव

इस स्कीम का उद्देश्य है भारत में फॉर्मल रोजगार को बढ़ावा देना, युवाओं को मुख्यधारा की नौकरियों से जोड़ना और उद्योगों को नए रोजगार सृजन के लिए प्रोत्साहित करना।


योजना की आवश्यकता और पृष्ठभूमि

भारत में युवाओं की बड़ी संख्या आज भी अनौपचारिक क्षेत्र में काम करती है। करीब 90% नौकरियां अनौपचारिक क्षेत्र में हैं, जिनमें न तो सामाजिक सुरक्षा है, न ही स्थायित्व और वेतन की गारंटी। इससे न केवल युवाओं का भविष्य असुरक्षित होता है, बल्कि देश की आर्थिक उत्पादकता भी प्रभावित होती है। इस समस्या से निपटने और औपचारिक क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए यह योजना शुरू की गई है।


बजट और समयसीमा

सरकार ने इस स्कीम के लिए ₹1 लाख करोड़ का बजट निर्धारित किया है। यह योजना 1 अगस्त 2025 से शुरू होकर 31 जुलाई 2027 तक लागू रहेगी। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में यदि अच्छा परिणाम दिखता है तो इसे 4 वर्षों तक बढ़ाया भी जा सकता है।


फर्स्ट टाइम वर्कर्स को मिलने वाला इंसेंटिव

इस स्कीम के अंतर्गत यदि कोई युवा पहली बार फॉर्मल जॉब करता है, तो उसे सरकार की ओर से ₹15,000 तक का इंसेंटिव मिलेगा।

पात्रता:

  • आयु 18 से 29 वर्ष के बीच
  • पहली बार फॉर्मल रोजगार प्राप्त करना
  • EPFO (Employees Provident Fund Organisation) से रजिस्टर्ड होना
  • मासिक वेतन ₹30,000 से कम होना

इंसेंटिव वितरण:

  • 6 महीने नौकरी पूरी करने पर ₹7500
  • 12 महीने नौकरी पूरी करने पर ₹7500
  • इसके अतिरिक्त युवाओं को वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम (Financial Literacy Program) में भाग लेना अनिवार्य है।

एम्प्लॉयर्स को इंसेंटिव

सरकार का उद्देश्य है कि प्राइवेट सेक्टर के नियोक्ता ज्यादा से ज्यादा लोगों को रोजगार दें और उन्हें बनाए रखें।

इंसेंटिव की दर:

  • ₹10,000 वेतन तक: ₹1000 प्रति कर्मचारी प्रति माह
  • ₹10,001 से ₹20,000 वेतन: ₹2000 प्रति कर्मचारी प्रति माह
  • ₹20,001 से ₹1,00,000 वेतन: ₹3000 प्रति कर्मचारी प्रति माह

पात्रता:

  • EPFO के साथ रजिस्टर्ड होना आवश्यक
  • 50 से कम कर्मचारियों वाली कंपनियों को कम से कम 2 नए कर्मचारी रखने होंगे
  • 50 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को कम से कम 5 नए कर्मचारी रखने होंगे
  • नौकरी न्यूनतम 6 महीने तक बनाए रखना होगा
  • नई नौकरियां होनी चाहिए, रिप्लेसमेंट नहीं

प्राथमिकता वाले सेक्टर्स

  • मैन्युफैक्चरिंग
  • टेक्सटाइल्स
  • इलेक्ट्रॉनिक्स
  • इंजीनियरिंग
  • रिटेल
  • लॉजिस्टिक्स
  • आईटी
  • फूड प्रोसेसिंग
  • एमएसएमई (MSMEs)

योजना की निगरानी और पारदर्शिता क्या है ?

इस योजना को टेक्नोलॉजी-समर्थ बनाया गया है:

  • आधार और EPFO से लिंक
  • डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से भुगतान
  • मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम से निगरानी

संभावित प्रभाव

  1. रोजगार सृजन में बड़ा बूस्ट: यदि योजना सफल होती है तो 3.5 करोड़ नई नौकरियां देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देंगी।
  2. फॉर्मलाइजेशन: अनौपचारिक क्षेत्र से लोग फॉर्मल सेक्टर में आएंगे, जिससे उनकी सुरक्षा और वेतन में वृद्धि होगी।
  3. महिलाओं को लाभ: महिलाओं के लिए विशेष इंसेंटिव्स मिलने से उनका रोजगार में हिस्सा बढ़ेगा।
  4. एमएसएमई को बढ़ावा: छोटे और मंझोले उद्योगों को श्रमिकों के वेतन में सहायता मिलने से उनकी लागत कम होगी और वे ज्यादा लोगों को नौकरी दे पाएंगे।

पूर्व की योजनाओं से तुलना

इससे पहले सरकार ने प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (PMRPY) शुरू की थी। परंतु वह केवल एम्प्लॉयर्स पर केंद्रित थी। ELI स्कीम दोनों – एम्प्लॉई और एम्प्लॉयर – को समान रूप से इंसेंटिव देती है।

  • पूर्व योजना का बजट: ₹10,000 करोड़
  • ELI स्कीम का बजट: ₹1,00,000 करोड़
  • पूर्व योजना में केवल EPFO योगदान का हिस्सा दिया जाता था
  • ELI स्कीम में प्रत्यक्ष नकद इंसेंटिव दिया जा रहा है

चुनौतियाँ और सावधानियाँ

  1. पैसा समय पर रिलीज़ होना: अगर सरकार भुगतान में देर करती है, तो उद्योगों का भरोसा कमजोर हो सकता है।
  2. घोस्ट एम्प्लॉयी: फर्जी कर्मचारियों से बचने के लिए डिजिटल ऑडिट और सख्त निगरानी आवश्यक है।
  3. रिटेंशन समस्या: कई उद्योग जैसे कॉन्ट्रैक्ट और सीजनल इंडस्ट्री में कर्मचारियों को बनाए रखना मुश्किल होता है।
  4. ईपीएफओ रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता: छोटे उद्योगों को इसमें जटिलताएं महसूस हो सकती हैं।

आर्थिक और राजनीतिक महत्व

इस योजना के जरिए सरकार 2024 के चुनावों से पहले रोजगार संकट पर ठोस समाधान देना चाहती है। यह योजना “मेक इन इंडिया,” “आत्मनिर्भर भारत,” और “डिजिटल इंडिया” जैसी सरकारी पहलों को भी मजबूती देती है।


कितनी सफल है ? ये योजना

एम्प्लॉयमेंट लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम भारत के युवा वर्ग के लिए एक नई आशा है। यदि यह योजना ईमानदारी और पारदर्शिता से लागू की जाती है, तो यह देश में रोजगार के नए युग की शुरुआत कर सकती है। साथ ही, इससे औद्योगिक विकास और सामाजिक सुरक्षा दोनों को गति मिलेगी। यह योजना केवल आर्थिक परिवर्तन नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की नींव भी रख सकती है।

https://navbharattimes.indiatimes.com/government-schemes/central-employment-linked-incentive-scheme-eli-yojana

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