50 सालों तक चलने वाली बैटरी नूक्लीअर बैटरी-
50 सालों तक चलने वाली बैटरी नूक्लीअर बैटरी-`क्या होगा अगर आपकी बैटरी का चार्जिंग कभी खत्म ही ना हो और यह मुमकिन हुआ है और चाइना की एक कंपनी है बेटावोल्ट उसने ये करके दिखाया है क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी प्रॉब्लम्स में से यह बहुत महत्वपूर्ण प्रॉब्लम निकल के आती है कि बैटरी का चार्जिंग खत्म हो जाता है क्योंकि जब आपको यूज़ करना होता है उस समय पे उसकी यूटिलिटी जो है वो बहुत कम हो जाती है तो उसी वजह से आप सिर्फ अपने फोन स्मार्टफोन की बैटरी के रिस्पेक्ट में देखिए
कैसे काम करती है नूक्लीअर बैटरी – 
50 सालों तक चलने वाली बैटरी नूक्लीअर बैटरी फिर उसके जो भी मल्टीफुल एप्लीकेशनेशंस होते हैं
आप मतलब ट्रांसपोर्ट लॉजिस्टिक उसके हिसाब से देखिए या फिर एआई हो गया
या एरोस्पेस इंजीनियरिंग या जिस भी रिस्पेक्ट में देखेंगे आपको समझ में आएगा
कि कहीं ना कहीं बैटरी या फिर इलेक्ट्रिसिटी की यू यूटिलिटी बहुत ज्यादा है
एनर्जी सिस्टम्स की यूटिलिटी बहुत ज्यादा है और उसमें ये बहुत ही बड़ा डेवलपमेंट देखने को मिल रहा है।
क्योंकि करीबन आप देखेंगे 100 150 सालों से यूएसए और रशिया उस तरीके से इस रेस में आगे चल रहे थे।
कि कौन इस तरीके से मिनिएचर या फिर न्यूक्लियर एनर्जी को इस तरीके से यूज़ करें
कि छोटी सी बैटरी बनादें और यह चाइना ने करके दिखाया है।
जिसमें कुछ इस तरीके से डेवलपमेंट्स हुए कि 50 साल तक आपको उस बैटरी को चार्ज करने की जरूरत नहीं है।
तब तक वो चलती रहेगी मतलब एक तरीके से कह सकते हैं कि एक लाइफटाइम बैटरी हो गई है।
तो इसमें ये किस तरीके से हुआ है इसको समझने की कोशिश कीजिएगा
कि चाइना ने ये ब्रेक थ्रू इवेंट डेवलप किया है।
और जब आप कोई ब्रेक थ्रू टेक्नोलॉजी की बात करते हैं तो उसमें मुख्य
आपको तीन-चार देश ही देखने को मिलेंगे यूएस हो गया रशिया हो गया चाइना हो गया ।
नूक्लीअर बैटरी कैसे बनाई जाती है ? 
50 सालों तक चलने वाली बैटरी नूक्लीअर बैटरी फिर समटाइम यू आल्सो फाइंड इंडिया
तो ये सारे जो डेवलपमेंट्स हैं इसमें हम समझने की कोशिश करेंगे कि इतना चाइना के
पास क्या प्रोग्रेस है कि उसकी वजह से ये ये इस तरीके से डेवलप हो गया और
उसी के साथ में इस बैटरी के नुसेस क्या है।।
कि इतना हम कह रहे हैं कि ये बहुत ही लाइक पूरी सदियों में उस तरीके से जो
इंपॉर्टेंट इवेंट होता है ब्रेक थ्रू इवेंट होता है उनमें से एक कहा जा सकता है तो हम ऐसा क्यों कह रहे हैं।
इसके पीछे क्या रैशन है तो आप समझने की कोशिश कीजिए कि एक सिक्का है एक कॉइन है
उससे भी छोटी साइज की बैटरी इन्होंने बनाई है।
जोकि न्यूक्लियर एनर्जी से मतलब चलती है उससे ऐसा नहीं है कि लिथियम आयन बैटरी है
जो जिसको हर समय पे आपको चार्ज करना पड़ता है वो नहीं है।
इसमें 50 साल तक चलेगी तो ये कैसे होगा इसमें सबसे इंपॉर्टेंट इसका फीचर आप समझेंगे कि ये मेंटेनेंस फ्री है।
आपको इसको मेंटेन नहीं करना है वरना रोज आपको फोन में चार्ज करना रहता है उसे ताकि वो 100% हो जाए फिर गिर जाता है।
फिर आपको चार्ज करना रहता है तो वो चीज आपको नहीं करना है इसमें इस वजह से इसे कहा जा रहा है कि ये मेंटेनेंस फ्री बैटरी है।
क्या यह बैटरी बम के जैसे ब्लास्ट भी करेगी?
50 सालों तक चलने वाली बैटरी नूक्लीअर बैटरी चाइना ने इसको कैसे डेवलप कर लिया
इतनी तेजी से कैसे डेवलप कर लिया और उसी के साथ में अगर डेकेड्स तक रशिया और यूएसए लगे हुए थे।
तो वो डेवलप क्यों नहीं कर पाए ऐसे क्या रीज़न है कि इतना डिफिकल्ट था इसको डेवलप
करना और सिमिलरली उसके साथ तीसरा हमारा क्वेश्चन हो जाता है।
कि इंडिया की क्या स्टैंडिंग है मतलब इंडिया किस तरीके से इस डेवलपमेंट को देखता है
और इंडिया क्या इस दिशा में फिर से आगे बढ़ेगा या किस तरीके से सोच रहा है।
कि फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट्स क्या है इंडिया के लिए ये डेवलपमेंट को देखते हुए तो ये तीन क्वेश्चन
को हम एक्सप्लोर करने की कोशिश करेंगे उसमें पूरा क्रक्स इसका समझते हैं।
तो चाइना का एक स्टार्टअप है जिसका नाम है मेटावोल्ट इस स्टार्टअप ने क्या किया
स्मार्टफोन में यूज होने के लिए पावर देने के लिए एक बैटरी इन्होंने बनाई
जो कि एक आप इस तरीके से समझिए कि मिनिएचर जो भी एटॉमिक एनर्जी होता है
जब हम एटम बम की बात करते हैं।
क्या है बैटरी के मटेरियल – 
मल्टीपल आइसोटोप्स देखने को मिलेंगे उसी के साथ में इनके बीच में अगर आप
देखेंगे तो आपको डायमंड सेमीकंडक्टर के कन्वर्टर मिलेंगे अब इसका क्या यूज़ है।।
आप देखेंगे निक 63 के आइसोटोप्स हैं उसके बाद में उन्हीं के बीच में आप
देखेंगे कि डायमंड सेमीकंडक्टर कन्वर्टर हैं।।
अब जो निक 63 है इसका काम है एनर्जी प्रोड्यूस करना ये एनर्जी प्रोड्यूस करेगा अब वो जो एनर्जी बनी है।
उसको इलेक्ट्रिकल एनर्जी में कन्वर्ट करने के लिए ताकि फोन में हम जिस तरीके से उसको यूज़ करेंगे
तो इलेक्ट्रिकल फॉर्म है उसमें कन्वर्ट करने के लिए हमको ये डायमंड सेमीकंडक्टर कन्व्टर का जरूरत होता है।
तो उस वजह से उसको उसके कांटेक्ट में रखा गया है ताकि उसको कन्वर्ट करें तो ये पूरा उसका स्ट्रक्चर है।
राइट इस तरीके से आप समझ सकते हैं प्रोसेस क्या होगा इलेक्ट्रिकल एनर्जी
हमको चाहिए तो उसकी वजह से हम ये आइसोटोप्स को यूज़ कर रहे हैं।
जो रिलीज़ करेंगे एनर्जी जिसकी वजह से हमें इलेक्ट्रिकल एनर्जी प्रोड्यूस होगी अब इसमें समझिए।
आइसोटोप किस तरीके से हैं जैसे कि आप कार्बन के बारे में जानते हैं.
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