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कावेरी इंजन को फंड करें

कावेरी इंजन को फंड करें

कावेरी इंजन को फंड करें: भारत की एयरोस्पेस आत्मनिर्भरता का आह्वान

कावेरी इंजन को फंड  भारत आज अपने रक्षा और तकनीकी सफर में एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है।

सोशल मीडिया पर एक मांग जोर पकड़ रही है

#FundKaveriEngine। नागरिकों, रक्षा विशेषज्ञों और देशभक्तों की एकजुट आवाज़ है

कि सरकार को स्वदेशी फाइटर जेट इंजन, कावेरी इंजन, को प्राथमिकता देकर पूरा समर्थन देना चाहिए।

इस अभियान के पीछे एक गहरी भावना है: भारत को विदेशी देशों पर रक्षा तकनीक के लिए निर्भर रहना बंद करना होगा

और एयरोस्पेस क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भर बनना होगा।


कावेरी इंजन क्यों ज़रूरी है?

कावेरी इंजन परियोजना 1989 में शुरू हुई थी, उद्देश्य था एक स्वदेशी लड़ाकू विमान इंजन बनाना।

तीन दशकों से अधिक समय बीत गया, प्रगति हुई लेकिन धीमी रही –

मुख्य रूप से फंड की कमी और राजनीतिक अनदेखी के कारण।

आज भी भारत को अपने तेजस फाइटर जेट्स के लिए अमेरिका से GE F404 इंजन खरीदने पड़ते हैं।

आज अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन जैसे देश अपने इंजन बना चुके हैं। यहां तक कि ताइवान और जापान जैसे छोटे देश भी

अपनी फाइटर जेट इंजन बना चुके हैं। ताइवान ने 15 वर्षों में F125 इंजन तैयार किया –

और वह भी पूरी तरह सरकार की फंडिंग से।

तो फिर सवाल उठता है – भारत क्यों नहीं कर सकता?


आखिर क्या है भारत की :आर्थिक सच्चाई 

यह धारणा कि कावेरी इंजन बनाना बहुत महंगा पड़ेगा – पूरी तरह गलत है। 1989 से अब तक इस पर कुल मिलाकर लगभग

₹3,000 से ₹4,400 करोड़ खर्च हुए हैं। यानी औसतन हर साल ₹100 करोड़ से भी कम

जबकि केवल महाराष्ट्र में ही लाड़ली बहना योजना पर एक साल में ₹6,000 करोड़ खर्च हुए। अगर इस तरह की स्कीमों की

एक छोटी-सी राशि भी R&D में लगाई जाए, तो भारत अपने इंजन स्वयं बना सकता है।


रणनीतिक स्वतंत्रता के आधार पर 

आज भारत तेजस जेट्स का बड़े पैमाने पर उत्पादन नहीं कर सकता क्योंकि इंजन समय पर नहीं मिलते। कल को युद्ध या

विदेश से प्रतिबंध हुआ तो भारत की वायुसेना संकट में पड़ सकती है।

हमने गर्व से ₹60,000 करोड़ खर्च कर 26 राफेल जेट्स खरीदे – लेकिन ये भी सिर्फ 4.5 जेनरेशन के हैं

, जबकि दुनिया अब 5वीं और 6वीं जेनरेशन की ओर बढ़ रही है। एक स्वदेशी इंजन बनाकर हम अपने AMCA

और भविष्य के 6th-जेनरेशन प्रोजेक्ट्स को विदेशी दबाव के बिना आगे बढ़ा सकते हैं।


साजिश और दबाव की आशंका है इस इंजन के निर्माण से 

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के इंजन प्रोजेक्ट को जानबूझकर धीमा किया गया – जैसे 90 के दशक में ISRO के साथ हुआ था।

कई शक्तिशाली देश नहीं चाहते कि भारत आत्मनिर्भर बने।

अमेरिका अपने F-35 जेट्स को बेचने के लिए लगातार भारत को “इंजन की कमी” का ताना देता है। ये दिखाता है

कि रणनीतिक आत्मनिर्भरता अब केवल सपना नहीं, बल्कि जरूरत बन चुकी है।


जनता की भावना और सोशल मीडिया की लहर मे आप भी अपना साथ दे 

आज यह मुद्दा केवल रक्षा तकनीक तक सीमित नहीं है, यह राष्ट्रीय गर्व और आत्मसम्मान का प्रतीक बन गया है।

सोशल मीडिया पर लोग भावुक पोस्ट, आर्टवर्क और वीडियो के जरिए सरकार से अपील कर रहे हैं।

एक वायरल पोस्ट में कल्पना की गई है कि मोदी जी कहते हैं:
“चुनौती स्वीकार है! हम 1.4 अरब लोगों का देश हैं। हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक अपना इंजन नहीं बनाएंगे।”

भले ही यह काल्पनिक हो, लेकिन भावना असली है।


 अब निर्णय का समय है ; हिंदुस्तानियों उठ खड़े हो जाओ –

कावेरी इंजन को फंड करें

कावेरी इंजन को फंड करें

भारत के पास टैलेंट है, संसाधन हैं और अब जन समर्थन भी है। अब हमें बस राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी है।

कावेरी इंजन में निवेश करें – क्योंकि यह सिर्फ इंजन नहीं, भारत का भविष्य है।
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