
ईरान पर अमेरिका का बड़ा हमला
ईरान पर अमेरिका का बड़ा हमला: Has the nuclear war really begun?
स्रोत: न्यूयॉर्क टाइम्स रिपोर्ट के आधार पर- नई दिल्ली/तेहरान/वॉशिंगटन:
ईरान पर अमेरिका का बड़ा हमला – ईरान और अमेरिका के बीच तनाव अब केवल कूटनीतिक स्तर पर नहीं रहा।
बीती रात, जब भारत में गहरी नींद का समय था, अमेरिका ने एक बड़ा सैन्य ऑपरेशन अंजाम दिया।
अमेरिका के बी-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स ने डिएगो गार्सिया मिलिट्री बेस से उड़ान भरते हुए ईरान की तीन महत्वपूर्ण न्यूक्लियर साइट्स—फोर्दो, नतांज, और इस्फहान—पर सर्जिकल स्ट्राइक की।
अमेरिका का अभूतपूर्व ऑपरेशन: कितना सफल रहा है?
बी-2 बॉम्बर्स, जिनकी कीमत करीब 2.1 बिलियन डॉलर (लगभग ₹17,000 करोड़) है, स्टेल्थ तकनीक से लैस होते हैं,
जिससे इन्हें किसी भी एयर डिफेंस रडार पर ट्रैक कर पाना लगभग नामुमकिन होता है।
इन विमानों ने गुआम होते हुए इंडियन ओशन में मौजूद अमेरिकी बेस डिएगो गार्सिया से उड़ान भरी और
सीधे ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटीज को निशाना बनाया।ईरान पर अमेरिका का बड़ा हमला ईरान पर अमेरिका का बड़ा हमला
हमला कितना सफल रहा? आईये जानते है?
यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में कहा कि यह ऑपरेशन “सटीक और निर्णायक” रहा।
उन्होंने तीनों लोकेशंस पर न्यूक्लियर क्षमता को खत्म करने का दावा किया। लेकिन ईरान का कहना है
कि अमेरिका को ज्यादा सफलता नहीं मिली है, क्योंकि महत्वपूर्ण वैज्ञानिक और न्यूक्लियर सामग्रियों को पहले ही वहां से हटा लिया गया था।
ट्रंप का ऐलान – “शक्ति के जरिए शांति” क्या है इसकी सच्चाई
अपने राष्ट्रीय संबोधन में ट्रंप ने ईरान को “दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकवाद समर्थक देश” कहा और बताया
कि अमेरिका का मकसद है न्यूक्लियर खतरे को हमेशा के लिए खत्म करना।
इस कार्रवाई को उन्होंने “Operation Rising Lion” नाम दिया। इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह निर्णय इतिहास बदल देगा।
रूस-चीन की भूमिका और अमेरिका की चालबाज़ी को भी समझना चाहिए
रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस और चीन ईरान को अमेरिकी मूवमेंट्स की जानकारी दे रहे थे।
लेकिन अमेरिका ने कई डिकॉय (भ्रम फैलाने वाले) बॉम्बर्स भेजे जिससे ईरान भ्रमित हो गया
और असली बी-2 बमवर्षक पूर्व दिशा से हमला कर गए।
ईरान भी कर सकता है पलटवार –
ईरान के स्टेट मीडिया और मिलिट्री सूत्रों ने संकेत दिया है कि वे अब सीधे अमेरिका को टारगेट करेंगे।
इसके तहत ईरानी प्रॉक्सी ग्रुप्स जैसे हिज़बुल्ला (लेबनॉन) और हौथी विद्रोही (यमन) भी सक्रिय हो सकते हैं।
इसके अलावा, ईरान Hormuz Strait को बंद कर सकता है, जिससे दुनिया की 20% ऑयल सप्लाई प्रभावित होगी।
क्या ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम खत्म हुआ? या है ये सिर्फ एक अफवाह
इस पर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। अमेरिका ने GBU-57 बंकर बस्टर बम का इस्तेमाल किया, जो 60 मीटर तक जमीन में घुस सकता है।
लेकिन ईरान के फोर्दो प्लांट की गहराई 90 मीटर से अधिक है, और वह भी एक पहाड़ी के अंदर।
इसलिए अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि साइट्स पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं।
क्या वाकई न्यूक्लियर जंग शुरू हो चुकी है? जानिए
इस हमले ने एक बात तो साफ कर दी है—अब अमेरिका सिर्फ चेतावनी देने तक सीमित नहीं है।
दूसरी तरफ, ईरान जैसे देश के लिए अपनी संप्रभुता पर हमला सहन करना आसान नहीं।
आने वाले दिनों में मिडिल ईस्ट में स्थिति और बिगड़ सकती है।
भारत सहित बाकी दुनिया को इस संघर्ष से ऊर्जा आपूर्ति, आर्थिक स्थिरता और सुरक्षा के दृष्टिकोण से बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
Leave a Reply